क्या आप जानते है बॉलीवुड जगत की सबसे पहली ‘दादा साहब फाल्के अवार्ड’ पानी वाली अदाकारा कौन सी थी ? ये अदाकारा बॉम्बे टॉकीज़ प्रोडक्शन कंपनी की मालकिन भी रह चुकी है और ये भारत की पहली लेडी स्टार थी। अगर नहीं जानते तो आइये जानते है इनके बारे में !

हिंदी सिनेमा की सिल्वर स्क्रीन पर अपनी छाप छोड़ने वाली और पहली स्टार कहे जाने वाली एक्ट्रेस का नाम था ‘देविका रानी ‘। उनका जन्म ‘आंध्र प्रदेश के पास ‘वाल्टेयर’ में सन 1908 में एक पढ़े – लिखे बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता ‘ मन्मथनाथ चौधरी ‘मद्रास प्रेसीडेंसी’ के पहले भारतीय सर्जन-जनरल थे और माता ‘लीला देवी चौधरी ‘ भी एक पढ़े – लिखे परिवार से ताल्लुक रखती थी और रबीन्द्रनाथ टैगोर की भतीजी थी।


बात करे देविका रानी के निजी जीवन की, तो नौ साल की उम्र में उन्हें पढ़ने के लिए लंदन भेज दिया गया। हायर स्टडीज़ पूरी होने के बाद विदेश में ही साल 1928 में उनकी मुलाक़ात ‘हिमांशु राय’ से हुई जो की एक फिल्म प्रोडूसर थे। और उनके प्रोडक्शन में वो बतौर सेट डिज़ाइनर काम करने लगी। उसके बाद , साल 1929 में उन दोनों ने शादी कर ली ।

फिर 1934 में ये दोनों भारत लौट आये और 1934 में ही हिमांशु राय ने अपनी पत्नी समेत, दूसरे साथियो के साथ मिलकर ‘बॉम्बे टॉकीज ‘ के नाम से एक प्रोडक्शन स्टूडियो की शुरुआत की जिसमे – अछूत कन्या , जीवन नैया , जवानी की हवा, किस्मत जैसी कई और सफल फिल्मो का निर्माण हुआ । इन्होने ‘ कर्मा ‘ नाम की एक फिल्म में बतौर हीरो – हीरोइन काम भी किया। हालांकि फिल्म ऑडियंस के बीच कुछ खास कमाल नहीं कर पायी। लेकिन ये फिल्म अपनी ऑन स्क्रीन 4 मिनट की किसिंग सीन के लिए काफी चर्चित रही। अपने फ़िल्मी करियर में देविका रानी ने ‘1930 से 1940 ‘ तक 15 फिल्मों में काम किया।


उस समय जब महिलाओं को फिल्मों में आने की मनाही थी तब देविका रानी ने अपने एक्टिंग का जादू बिखेरकर अपने घर वालो के साथ – साथ बाकी लोगो को गलत साबित किया और फिल्मो में आने वाली नयी अदाकाराओं के लिए रास्ता खोला । जिसके लिए उन्हें 1969 में ‘दादा साहब फाल्के अवार्ड ‘ से नवाज़ा गया और बता दें , कि ये अवार्ड पाने वाली वो ‘पहली भारतीय अभिनेत्री‘ ‘ थी। देविका रानी ने काफी फिल्मे की। लेकिन अशोक कुमार के साथ उन्होंने पर्दे पर ज्यादा लोकप्रियता हासिल की। जिसमे से उनकी सबसे सफल फिल्म ‘अछूत कन्या ‘ रही।
इस स्टूडियो ने देविका रानी ही नहीं बल्कि अशोक कुमार , मेहमूद अली , मधुबाला , दिलीप कुमार जैसे बड़े सितारों का करियर लांच किया। फिर 1940 में हिमांशु राय की मृत्यु हो गयी जिसके चलते बॉम्बे टॉकीज को देविका ने बाकी पार्टनर्स के साथ मिलकर संभाला। फिर 1945 में देविका रानी ने फिल्मों से सन्यास लेने का फैसला किया और उनके रिटायरमेंट के बाद बिज़नेस न चलने की वजह से 1953 में इस स्टूडियो को बंद कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर इस पहली महली स्टार ने एक रस्सियन पेंटर ‘स्वेतोस्लाव रोएरिच ‘ से विवाह कर लिया था और बैंगलोर शिफ्ट हो गयी।
फिर उधर ही उन्होंने अपने जीवन के आखिरी पड़ाव बिताए और जब उनके पति की मृत्यु हुई तो उसके एक साल बाद ही ‘भारत की फर्स्ट लेडी‘ कहे जाने वाली देविका रानी ने ‘9 मार्च 1994′ में अपने तमाम फैंस और दुनिया को अलविदा कह दिया। अब ये अभिनेत्री हमारे बीच नहीं है लेकिन फिल्मों की ओर इनकी पहल से तमाम महिलाओं को अदाकारी करने का हौसला मिला।